दही बड़े भई दही बड़े
खाए उसको छोटे-बड़े
सबसे पहले बड़ा बनाओ
उसके ऊपर दही लगाओ
इमली की चटनी बनवाओ
बड़े प्यार से उसे सजाओ
जब खाने को मन ललचाये
मुंह में जब पानी भर आये
लगा के लाइन हुओ खड़े
सब मिल खाओ दही बड़े।
दही बड़े भई दही बड़े
खाए उसको छोटे-बड़े।
खाए उसको छोटे-बड़े
सबसे पहले बड़ा बनाओ
उसके ऊपर दही लगाओ
इमली की चटनी बनवाओ
बड़े प्यार से उसे सजाओ
जब खाने को मन ललचाये
मुंह में जब पानी भर आये
लगा के लाइन हुओ खड़े
सब मिल खाओ दही बड़े।
दही बड़े भई दही बड़े
खाए उसको छोटे-बड़े।
Thank you Dadaji. Bahut acchi poem hai
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