Monday, October 26, 2015

मैंने सौगात में तुम्हें


मैंने सौगात में तुम्हें
एक नदी दी 
तुमने मुझे पूरा समुद्र
दे दिया

मैंने सौगात में तुम्हें
कुछ तारे दिए 
तूमने मुझे पूरा आकाश 
दे दिया 

मैंने सौगात में तुम्हें
कुछ दिशाएं दी 
तुमने मुझे पूरा ब्रमांड 
दे दिया 

मैंने सौगात में तुम्हें 
चंद बूंदे दी 
तुमने मुझे पूरा सावन 
दे दिया

मैंने सौगात में तुम्हें
चुटकी भर सिंदूर दिया
तुमने मुझे पूरा जीवन
दे दिया।




( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )

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