उजड़ गया मेरा चमन
लूट गयी मेरी बहारें
मुरझा गई प्यार की कली
फूल बन गए अंगारें
मिल गया अनन्त
विछोह का दर्द
साथ रह गया केवल
यादों का अथाह समुद्र
कुछ समय के लिए
आई थी जीवन में बहार
लेकिन अब तो जिन्दगी भर
पतझड़ ही बनेगा कहार
और न सिर छिपाने को
शाम है न चाँद है
घसीटता रहूंगा
जिंदगी के सलीब को
बना कर सहारा
तुम्हारी यादों को।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]
लूट गयी मेरी बहारें
मुरझा गई प्यार की कली
फूल बन गए अंगारें
मिल गया अनन्त
विछोह का दर्द
साथ रह गया केवल
यादों का अथाह समुद्र
कुछ समय के लिए
आई थी जीवन में बहार
लेकिन अब तो जिन्दगी भर
पतझड़ ही बनेगा कहार
अब सिर उठाने को
न भोर है न सूरज हैऔर न सिर छिपाने को
शाम है न चाँद है
घसीटता रहूंगा
जिंदगी के सलीब को
बना कर सहारा
तुम्हारी यादों को।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]
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