राह सफर में साथी छुटा, अब जीना तन्हाई में
आँखों से अश्रु जल बहता, अब तुम्हारी याद में।
दुःख मेरा क्या बतलाऊँ,दिल रोता है रातों में
गर्मी हो या सर्दी हो, क्या बसंत और क्या सावन
हर मौसम लगता है पतझड़, अब तुम्हारी याद में।
जब से तुम बिछुड़ी मुझसे, नींद खो गई रातों में
[ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]
आँखों से अश्रु जल बहता, अब तुम्हारी याद में।
दुःख मेरा क्या बतलाऊँ,दिल रोता है रातों में
खोया-खोया मन रहता है,अब तुम्हारी याद में।
हर मौसम लगता है पतझड़, अब तुम्हारी याद में।
एक तुम्हारे प्यार बिना, नीरस फीका यह जीवन
पीली पड़ गई खुशियाँ सारी,अब तुम्हारी याद में।
दिल धड़कता रहता मेरा, अब तुम्हारी याद में।
मंजिलें अब जुदा हो गई, अंजानी अब राहें हैं
मन रहता है सूना-सूना, अब तुम्हारी याद में।
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