ग्वाल- बालों को अलगोजे पर
अपने लोक गीत गाने दो
मत उनके होठों पर
नए तराने सजाओ
पनघट पर जाती गौरियों को
घूँघट से ही झांकने दो
मत उनको पश्चिमि
रंग में सजाओ
मेहमान का स्वागत
छाछ और मट्ठे से करो
मत उनको कोका कोला
छाछ और मट्ठे से करो
मत उनको कोका कोला
पिलाकर स्वास्थ्य नष्ट करो
बुड्ढे माँ- बाप की सेवा
घर पर रख कर ही करो
वृद्धाश्रम भेज कर अपना
भविष्य मत बिगाड़ो
पेड़-पौधों और पर्यावरण
की रक्षा करो
जंगलों को काट कर
अपना जीवन मत बिगाड़ो।
कोलकत्ता
कोलकत्ता
३१ जुलाई, २०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )