बादीलो बोल्यो आज प्यार से
बिरखा आई री
हरियाळी छा गयी सखी री
सावण आयो री
बादल छाया आसमान में
धरती महकी री
मौर-पपीहा बोलण लाग्या
मनड़ो हरक्यो री
लसकरियो बोल्यो आज प्यार से
बिरखा आई री
भरग्या सगला ताल-तलैया
परनाळा चाल्या री
कोयल-दादुर बोलण लाग्या
शुभ दिन आयो री
छैळो बोल्यो आज प्यार से
बिरखा आई री
हळिया ने हाथा में पकड़्या
परण्येा खेता चाल्यो री
परण्येा खेता चाल्यो री
मिरगानैणी कजळी गावै
मन हुलसायो री
पीवजी बोल्या आज प्यार से
पाणी बरस्यो री
इन्द्रधणक ऱे रंग रंगी मैं
पायल रुनझुन बोले री
ऊँचे डालै हींड़ो घाल्यो
सखियाँ झाळा देवै री
रसियो बोल्यो आज प्यार से
सावण आयो री।
कोलकाता २१ जुलाई, २०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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