प्रभु आप महान है
इसलिए नहीं कि आपने
सूरज-चाँद बनाऐ हैं या
धरती-आकाश बनाऐ है
आप महान इसलिए हैं कि
छोटे और बड़े सभी आपको
अपना समझते हैं।
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
इसलिए नहीं कि आपने
सूरज-चाँद बनाऐ हैं या
धरती-आकाश बनाऐ है
आप महान इसलिए हैं कि
छोटे और बड़े सभी आपको
अपना समझते हैं।
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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