Friday, December 30, 2011

पूजा

संगमरमर के बने
विशाल मंदिरों में
मणि-माणक और
स्वर्ण-रजत से सुसज्जित
प्रस्तर प्रतिमाओं के सामने
छप्पन भोगो से भरे  थालों
को सजाने से अच्छा है,
मंदिर की सीढियों  पर
बैठे किसी लूले- लंगड़े
गरीब की सुधा को
दो रोटी खिला कर
शांत किया जाय।


(यह कविता  "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )





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