करलो मन की बात
झमाझम बारिश में
कागज़ की एक नाव बनाओ
छोडो उसको पानी मे,
भीगने का मजा लेने
कूदो छपाक से पानी में
करलो मन की बात
झमाझम बारिश में
आई पुरवाई मदमाती
मिल कर भिगो पानी में
सब मिल कर फिर गाओ
वर्षा गीत बरसते पानी में
वर्षा गीत बरसते पानी में
करलो मन की बात
झमाझम बारिश में
ठेले पर भुट्टे भुनवा कर
खाओ बरसते पानी में
रैनी डे की छुट्टी होगी
नाचो कूदो पानी में।
करलो मन की बात
झमाझम बारिश में
गरमा -गरम चाय पकौड़ी
मिल कर खाओ पानी में,
मम्मी जब भी डांट लगाए
मत भिगो तुम पानी में।
करलो मन की बात
झमाझम बारिश में
गीली मिटटी से घर बनाओ
भीगो बरसते पानी में,
सर्दी लगे नाक बहे तब
खाओ हलवा बिस्तर में।
करलो मन की बात
झमाझम बारिश में।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
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