मेरी चाहत है
मेरी चाहत है
तोड़ लाऊं मेहंदी के पत्ते
लगाऊं चटक रंग तुम्हारी
हथेलियों पर और
लगाऊं चटक रंग तुम्हारी
हथेलियों पर और
सजाऊं तुम्हें
मेरी चाहत है
समंदर से चुन लाऊं
मोतियों वाली सीपियाँ
और बना कर सुन्दर हार
पहनाऊं तुम्हें
मेरी चाहत है
बगीचे में जाकर
चुन लाऊँ बेला के फूल
और बना कर गजरा
सजाऊँ तुम्हें
मेरी चाहत है
इंद्रधनुष के रंगो में
रंगाऊँ रेशम की चुन्दडी
और लगा कर चाँद-सितारे
औढ़ाऊँ तुम्हें।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
रंगाऊँ रेशम की चुन्दडी
और लगा कर चाँद-सितारे
औढ़ाऊँ तुम्हें।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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