दोनों एक दूजे के
सुख-दुःख में शामिल
कई अनमोल सौगाते
एक दूजे की
एक दूजे के पास
गात अलग
लेकिन मन एक
मेरे मन कि बात
अनायास निकल पड़ती है
तुम्हारे मुख से
और तुम्हारे मन कि बात
निकल आती है
मेरे होठों से
मेरे होठों से
सब कुछ समाहित है
एक दूजे का
एक दूजे का
एक दूजे में
कहीं यही तो नहीं है
प्यार की पराकाष्ठा
मेरा प्यार - तुम्हारा प्यार।प्यार की पराकाष्ठा
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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