हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम !
सीता से यही तो अपराध
हुवा कि उसने आपसे
स्वर्ण मृग माँगा
वो भी इसलिए कि
आपकी पर्णकुटी
सुन्दर लगे
आपकी पर्णकुटी
सुन्दर लगे
राम स्वर्णचर्म पर बैठ सके
लेकिन आपने
उसके साथ क्या किया ?
सीता की अग्नि परिक्षा ली
उसके साथ क्या किया ?
सीता की अग्नि परिक्षा ली
क्या यह स्त्रीत्व का
अपमान नहीं था ?
एक रजक के कहने पर
आश्वप्रसवा सीता को
निर्वासन दिया
क्या यह पति धर्म था ?
आपकी हृदयहीनता से दुःखी
सीता धरती में समा गयी
क्या यह नारी जाति का
अपमान नहीं था ?
राज्य के सुखों को त्याग
सीता आपके साथ वन गयी
क्या सीता का यह त्याग कम था ?
राम!
इतिहास के पन्नो में भले ही
इतिहास के पन्नो में भले ही
आप "मर्यादा पुरषोत्तम" कहलाये
लेकिन सीता के साथ आप
न्याय नहीं कर सके।
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