आगमन-निर्वाण करते रहे
स्वार्थ भरा जीवन जीते रहे।
कुछ धन कमाने में लगे रहे
कुछ तन सजाने में लगे रहे।
कुछ भोगों में भ्रमित रहे
कुछ रोगों में ग्रसित रहे।
कुछ आलसी बन पड़े रहे
कुछ अंहकार में डूबे रहे।जीवन तो उन्ही के सफल रहे
जो सदा परोपकार करते रहे।
दानवीरों का जीवन जीते रहे
सदा सब का भला करते रहे।
फूलों की तरह जो महकते रहे
सूरज की तरह जो चमकते रहे।
जो करुणा और प्रेम बरसाते रहे
सदा सत्य की राह पर चलते रहे।
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