Saturday, September 22, 2018

तुम एक बार गाँव जरूर जाना

                                                                          मैं चाहता हूँ
तुम एक बार
गाँव जा कर आओ

गाँव में हमारे
 बीते हुए बचपन को
एक बार देख कर आओ

तुम घूमना 
गाँव की गलियों में 
जहाँ हम नगें पाँव दौड़ा करते थे

तुम बैठना बैलगाड़ी में 
जिस पर बैठ कर  
हम शहर पढ़ने जाते थे 

तुम जाना खेत में
जहाँ हम काकड़ी, तरबूज 
तोड़ कर खाते थे

तुम जाना बाड़े में
जहाँ हम गाय का ताजा दूध
खड़े-खड़े पी जाते थे

तुम बैठना
पीपल की ठंडी छाँह में
जहाँ हम झूला-झूलते थे  

तुम देखना 
गाँव में हमारा बचपन 
कैसे बीता था। 
  





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