मैं चाहता हूँ
तुम एक बार
गाँव जा कर आओ
गाँव में हमारे
बीते हुए बचपन को
एक बार देख कर आओ
तुम घूमना
गाँव की गलियों में
जहाँ हम नगें पाँव दौड़ा करते थे
तुम बैठना बैलगाड़ी में
जिस पर बैठ कर
हम शहर पढ़ने जाते थे
तुम जाना खेत में
जहाँ हम काकड़ी, तरबूज
तोड़ कर खाते थे
तुम जाना बाड़े में
जहाँ हम गाय का ताजा दूध
खड़े-खड़े पी जाते थे
तुम बैठना
पीपल की ठंडी छाँह में
जहाँ हम झूला-झूलते थे
तुम देखना
गाँव में हमारा बचपन
कैसे बीता था।
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