Friday, September 28, 2018

अपने हाथों से सजाऊँ

दिल करता है तुम्हें आज, अपने हाथों से सजाऊँ
तुम्हारे माथे  पर बिंदिया, अपने हाथों से लगाऊँ।

दिल करता है तुम्हारे हाथों में, चूड़ियाँ पहनाऊँ
तुम्हारे होठों पर लाली, अपने हाथों से लगाऊँ।

दिल करता है तुम्हारे पांवों में, पायलियाँ पहनाऊँ
तुम्हारी मांग में सिंदूर, मैं अपने हाथों से लगाऊँ।

दिल करता है, तुम्हारे नाक में नथनी पहनाऊँ
तुम्हारे हाथों में मेंहन्दी, अपने हाथों से लगाऊँ।

दिल करता है, तुम्हारी कमर में करधनी पहनाऊँ
तुम्हारे कानों में झुमका, अपने हाथों से लगाऊँ।


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )

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