पैंतीस वर्ष की लड़की की
दहेज़ के लिए शादी नहीं हो रही है,
अब वह हताश होने लगी हैवह आत्महत्या करने जा रही है।
लड़के की पढाई ख़त्म हो गई
पांच साल से नौकरी ढूँढ रहा है,
उसे अभी तक नौकरी नहीं मिली
वह नक्शलवादी बनने जा रहा है।
बीच सड़क पर कुछ गुंडे
अकेली लड़की को छेड़ रहें हैं,
भीड़ में कुछ वीडियो बना रहें हैं
बाकी के बुद्ध बनने जा रहें हैं।
हम दुनिया के सबसे बड़े
लोकतंत्र में रह रहे हैं,
गुंडे, बदमाश चुनाव जीत कर
देश का कानून बनाने जा रहे हैं।
देश में गरीब भूखा सो रहा है
बाहुबली गुलछर्रे उड़ा रहा है,
राजनेताओं के संरक्षण में
भ्र्ष्टाचार बढ़ता जा रहा है।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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