किसी ने झूठ बोल दिया तो क्या हुआ,
मैंने तो सच बोलने की कसम खाई है।
मैं बड़ा आदमी नहीं बना तो क्या हुआ,
मैंने तो इंशान बनने की कसम खाई है ।
किसी ने मेरी बुराई करदी तो क्या हुआ,
मैंने तो भलाई करने की कसम खाई है।
किसी ने कड़वा बोल दिया तो क्या हुआ,
मैंने तो प्यार से बोलने की कसम खाई है।
जीवन में दुःख - दर्द आए भी तो क्या हुआ,
मैंने तो आनन्द से जीने की कसम खाई है।
किसी ने नफ़रत कर भी ली तो क्या हुआ,
मैंने तो मोहब्बत करने की कसम खाई है।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
No comments:
Post a Comment