कुम्भ का मेला
लाखों की संख्या में साधु -संत
और नागा सन्यासी
बहुत बड़ा भक्तों का रेला।
पंडालों में चारो तरफ
भजन-कीर्तन चल रहा
कहीं कम्बल बँट रहा
तो कहीं भंडारा चल रहा।
महामण्डलेश्वर आचार्य
महामण्डलेश्वर महंत और
अखाड़ों का बड़ा जमघट
कोरोना महामारी का
सबसे बड़ा संकट।
सरकारी गाईड लाइन्स का
पालन नहीं हो रहा
हजारों में कोरोना संक्रमण
फ़ैलता जा रहा।
भक्तगण निश्चिन्त
कहीं भय का भाव नहीं
जहाँ ईश्वर साथ है
वहाँ डर का कोई प्रभाव नहीं।
( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )
ऐसे ही निडर लोग
ReplyDeleteफैला रहे कोरोना
ईश्वर भरोसे ही जैसे
चल रहा सब कुछ .. हैं ना ?
धर्म-कर्म बिल्कुल नहीं
ReplyDeleteकरेंगे नंगा नाच।
फिर कहते हैं आ रही
हम पर काहे आँच॥