आज मेरे साथ
जो घटनाएँ घट रही थी
उससे मेरा मन शशंकित था
सपने में भी आज मुझे
कुछ इसी तरह का आभास
पहले से ही हो गया था
कृष्ण की मूर्ति को
पूजा में रखते समय
हाथ से उलटा रखा जाना
पूजा के बर्तनों को
मंदिर में रखते हुए
हाथ से छूट कर गिर जाना
आज कुछ अप्रत्याशित
घटित होने वाला है
यह उसी का पूर्वाभाष था
जीवात्मा जगत से
सुक्ष्म तरंगों के माध्य्म से
कोई सन्देश भेज रहा था
ब्रह्माण्ड में
कोई शक्ति विध्यमान है
जो पूर्वाभास करा देती है
कोई पृष्ठभूमि
तैयार हो रही है
यह संकेतो में समझा देती है
६ जुलाई २०१४ का
वह मनहुस दिन
मेरे जीवन में कहर बन कर आया
मेरी जीवन संगिनी
को सदा-सदा के लिए
मुझ से छीन कर ले गया।
[ यह कविता "कुछ अनकहीं ***" में छप गई है।]
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