Monday, July 28, 2014

दादी वापिस आओ ना

दादी तुम क्यों रूठ गई
मुझे छोड़ क्यों चली गई
आकर मुझे खिलाओ ना
गोद में मुझे झुलाओ ना
दादी वापिस आओ ना।

सूरज कैसे उगता है
कैसे चाँद चमकता है
पारियां कहाँ से आती है
आकर मुझे बताओ ना
दादी वापिस आओ ना।

चिड़िया कैसे गाती है
कैसे गाय रम्भाती है
बिल्ली किससे डरती है
आकर मुझे सिखाओ ना
दादी वापिस आओ ना।

प्यारी-प्यारी बाते करके
खाना मुझे खिलाओ ना
मीठी मीठी लोरी गा कर
मुझको नींद सुलाओ ना
दादी वापिस आओ ना।

किसको चाय बना कर दूंगी
कौन कहेगा वाह ! वाह ! वाह
कौन कहेगा गुड़िया रानी
अब तुम ही बतलाओ ना
दादी वापिस आओ ना।



फरीदाबाद
२८ जुलाई, २०१४

(आयशा के दादीजी ३०जनवरी,२०१४ को अमेरिका से आए।  १४ महीने की आयशा को पहली बार देखा।
६ जुलाई,२०१४ को उनका परलोक गमन हो गया। केवल ५ महीने ६ दिन आयशा के साथ रहे। १९ महीने
की आयशा को कैसे याद रहेगा कि उसकी दादी उसे कितना अधिक प्यार करती थी। )


[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]











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