खोया मन
नींद की प्रतीक्षा में
करवटें बदलता रहता है
आँखों से
ढलकते हैं अश्रु
आँखों से
ढलकते हैं अश्रु
तकिया भीगता रहता है
बेवफा हो जाती है
दुःख में नींद भी
वो भी साथ नहीं देती
मन का दर्द चाहता है
एक सुखद सपर्श
तस्वीर साथ नहीं देती
स्मृतियाँ
कुरेदती है मन को
दर्द बहता रहता है नयनों से
जैसे कालिदास के
विरही यक्ष ने भेज दिया हो
मेघो को बरसने नयनों से।
मेघो को बरसने नयनों से।
[ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]
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