जब तक तुम थी
घर-बाहर के सभी
छोटे-मोटे निर्णय
तुम ले लिया करती थी
तुम ले लिया करती थी
तुम्हारे जाने के बाद
यह भार मुझ पर
आ गया
आ गया
लेकिन मैं
तुम जैसा सामर्थ्य
कहाँ से लाऊँ
प्रियजन भी कहते हैं
अब आपको ही
माँ और बाप दोनों का प्यार
बच्चों को देना होगा
लेकिन मैं
तुम जैसा ह्रदय
कहाँ से लाऊँ
कहाँ से लाऊँ
कल शशि पूछने लगी
दस दिन पिहर जा कर
आ जाऊं क्या ?
मेरी आँखों में अश्रु छलक पड़े
मेरा गला रुँघ गया
मैं केवल इतना कह पाया-
हाँ - ना कहने वाली तो चली गयी
मैं क्या कहूँ ?
मैं क्या कहूँ ?
अब तुम ही बताओ
बिना तुम्हारे कैसे निभाऊँ
मैं यह सब दायित्व
कहाँ से लाऊँ
इतना साहस कि
निभा सकु अपना कृतब्य।
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