सुनहली तारीखों को
आभामय और अविस्मणीय
बनाए रखने हेतु तुम
संजोये रखती थी
सदा तस्वीरें
अभिनव सोच थी तुम्हारी
बड़े जतन से सहज कर
रखा करती थे एल्बम में
सारी तस्वीरें
हमारे प्रेम और विश्वास ने
जो अमृत रस घोला
उस की साझेदार हैं
ये तस्वीरें
कितने रंग भरे थे हमने
अपने जीवन में
उन्ही की मीठी यादें हैं
ये तस्वीरें
मेरी स्मृतियां जैसे ही
लिपटती है तस्वीरों के संग
बोलने लग जाती है
ये तस्वीरें
तुम्हारे विच्छोह के
गम को दूर करने
आज मेरा सहारा बनी है
ये तस्वीरें।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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