Tuesday, November 18, 2014

तुम्हारी ये तस्वीरें



सुनहली तारीखों को
आभामय और अविस्मणीय
बनाए रखने हेतु तुम
संजोये रखती थी
सदा तस्वीरें

अभिनव सोच थी तुम्हारी
बड़े जतन से सहज कर
रखा करती थे एल्बम में
सारी तस्वीरें

पचास वर्ष के संगसफर में
हमारे प्रेम और विश्वास ने
जो अमृत रस घोला
उस की साझेदार हैं
ये तस्वीरें

कितने रंग भरे थे हमने
अपने जीवन में
उन्ही की मीठी यादें हैं
ये तस्वीरें

मेरी स्मृतियां जैसे ही
लिपटती है तस्वीरों के संग
बोलने लग जाती है
ये तस्वीरें

तुम्हारे विच्छोह के
गम को दूर करने
आज मेरा सहारा बनी है
ये तस्वीरें।


  [ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]








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