मौसमी बुखार है
दो दिन से घर पर
आराम कर रहा हूँ
कमरे में सोया
तुम्हारी तस्वीर को
देख रहा हूँ
मैं जानता हूँ कि अब
तुम मेरा सिर दबाने
नहीं आओगी
मेरे सिरहाने बैठ
सिर पर दवा
नहीं लगाओगी
बिखर गई है जिंदगी
तुम्हारे इस तरह
चले जाने से
तनहा हो गया जीवन
हो सके तो लौट आओ
किसी बहाने से
गुजर तो जाएगी
यह जिंदगी
मगर बहुत उदास
गुजरेगी।
दो दिन से घर पर
आराम कर रहा हूँ
कमरे में सोया
तुम्हारी तस्वीर को
देख रहा हूँ
मैं जानता हूँ कि अब
तुम मेरा सिर दबाने
नहीं आओगी
मेरे सिरहाने बैठ
सिर पर दवा
नहीं लगाओगी
बिखर गई है जिंदगी
तुम्हारे इस तरह
चले जाने से
तनहा हो गया जीवन
हो सके तो लौट आओ
किसी बहाने से
गुजर तो जाएगी
यह जिंदगी
मगर बहुत उदास
गुजरेगी।
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