Monday, November 3, 2014

मगर बहुत उदास गुजरेगी

मौसमी बुखार है
दो दिन से घर पर
आराम कर रहा हूँ

कमरे में सोया
तुम्हारी तस्वीर को
देख रहा हूँ

मैं जानता हूँ कि अब
तुम मेरा सिर दबाने
नहीं आओगी

मेरे सिरहाने बैठ
सिर पर दवा
नहीं लगाओगी

बिखर गई है जिंदगी
तुम्हारे इस तरह
चले जाने से

तनहा हो गया जीवन
हो सके तो लौट आओ
किसी बहाने से


गुजर तो जाएगी
यह जिंदगी
मगर बहुत उदास
गुजरेगी।

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