Sunday, December 14, 2014

कुछ मुक्तक

मौसम ने जो करवट बदली ठंडी आई
तुम्हारी ढ़ेरों मधुर यादें दिल में समाई
पचास शरद ऋतुऐं संग - संग बिताई
आज तुम्हारी गर्म साँसों की याद आई।

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दिल तुम्हारे संग धड़कना चाहता है
मन फिर तुमसे मिलना चाहता है
तुम्हारे बिना आज तलक जी रहा हूँ
यह मेरा नहीं इन साँसों का गुनाह है।

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दिन रात तुम्हारा इन्तजार रहता है
तुम फिर मिलोगी यह मन कहता है
तुम चली गयी यह मन नहीं मानता
आज भी एक विश्वास दिल में रहता है।
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तुम मेरी जिंदगी में आई वो प्यार था
तुम मेरे ख़्वाबों में समाई वो प्यार था
तुमने मेरा जीवन संवारा वो प्यार था
तुम छोड़ गई, लगता सब ख़्वाब था।

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