हमने साथ में जीने मरने की कसमें खाई थी
किसने साथ निभाया है, यह आप कहते हैं।
मेरी जिंदगी एक, ठहरा हुवा पल रह गई है
जीवन कभी नहीं ठहरा, यह आप कहते हैं।
वो फिर से मिलने का वादा, कर के ही चली जाती
जाने वाले लौट कर नहीं आते, यह आप कहते हैं।
वो फिर से मिलने का वादा, कर के ही चली जाती
जाने वाले लौट कर नहीं आते, यह आप कहते हैं।
पतझड़ भी आता है,यह आप कहते हैं।
सूरत तो सूरत, उसका तो नाम भी प्यारा था
चली गई उसे भूल जाओ, यह आप कहते हैं।
कब सोचा था, सुहाने सपने पल में मिट जायेंगें
धूप-छाँव का खेल है जिंदगी, यह आप कहते हैं।
आपका आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteबहुत खूब ... अच्छा विरोधाभास है ...
ReplyDeleteसुमनजी आपका आभार।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका दिगम्बर जी।
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