यादें गरजे
सावन की घटा सी
आँखें बरसे।
यादों का पंछी
मन के पिंजरे में
फड़फड़ाए।
सावन झूमा
यादों ने गाठें खोली
तड़फे जिया।
पहली वर्षा
संग-संग भीगना
तुम्हारी यादें।
बिना रोए ही
बहे आँखों से आँसूं
तुम्हारी यादें।
दिल में बसी
आँसुओं में ढलती
तुम्हारी यादें।
छलक आती
पलकों से बदली
तुम्हारी यादें।
सहेज रखी
मन के अल्बम में
तुम्हारी यादें।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]
सावन की घटा सी
आँखें बरसे।
यादों का पंछी
मन के पिंजरे में
फड़फड़ाए।
सावन झूमा
यादों ने गाठें खोली
तड़फे जिया।
पहली वर्षा
संग-संग भीगना
तुम्हारी यादें।
बिना रोए ही
बहे आँखों से आँसूं
तुम्हारी यादें।
दिल में बसी
आँसुओं में ढलती
तुम्हारी यादें।
छलक आती
पलकों से बदली
तुम्हारी यादें।
मन के अल्बम में
तुम्हारी यादें।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]