जीवन के सफर में हम दोनों संग-संग चले
तुम चली गई छोड़ कर, अब कहूँ तो भी क्या ?
तुम चली गई छोड़ कर, अब कहूँ तो भी क्या ?
तुम तो अब आओगी नहीं मेरे संग में हँसने
मैं हँस कर जमाने को दिखाऊँ, तो भी क्या ?
ढलती उम्र में बेसहारा कर चली गई तुम
ढलती उम्र में बेसहारा कर चली गई तुम
बिखर गए सारे अरमान, कहूँ तो भी क्या ?
अश्क आँखों से ढलते रहते हैं दिन-रात
बिखर गई जिंदगी, अब कहूँ तो भी क्या ?
बिखर गई जिंदगी, अब कहूँ तो भी क्या ?
मेरा बहारों भरा गुलसन वीरान हो गया
आँखों से बरसता है सावन, कहूँ तो भी क्या ?
मैं प्रतीक्षा करता रहा तुम्हारे लौट आने की
तुम नहीं आई लौट कर,अब कहूँ तो भी क्या ?
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