सब कुछ है पर तुम नहीं
जीवन में सुख चैन नही
दिन कटता रीता-रीता
सपनों वाली रात नहीं।
ठाट-बाट छूटा जीवन से
होठों पर मुस्कान नहीं
जीवन की सुध-बुध भुला
काया का भी साथ नहीं।
आँखों में हैं रात गुजरती
प्यार भरे दिन रहे नहीं
जीवन फिर से हरा बने
अब ऐसी बरसात नहीं।
मौजो के दिन बीत गए
सुख के सागर रहे नहीं
दर्द भरा है मेरा जीवन
पहले वाली बात नहीं।
[ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]
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