मैंने तुम्हे
अंधे की लाठी पकड़ कर
सड़क पार कराते हुए
देखा है।
सड़क पार कराते हुए
देखा है।
मैंने तुम्हे
घायल पड़े व्यक्ति को
घायल पड़े व्यक्ति को
अस्पताल पहुंचाते हुए
देखा है।
देखा है।
मैंने तुम्हे
वृद्धाश्रम में जन्मदिन
देखा है।
मैंने तुम्हे
असहाय व्यक्तियों की
असहाय व्यक्तियों की
सहायता करते हुए
देखा है।
मैंने तुम्हे
प्यासे राहगीर को
पानी पिलाते हुए
देखा है।
मैंने तुम्हे
रोते हुए बच्चे को
गोद में लेकर हंसाते हुए
देखा
तुम्हारे जैसा
इन्सान जब दुनिया से जायेगा
लोग अश्रुपूर्ण नेत्रों से बिदा करेंगे।
देखा है।
मैंने तुम्हे
प्यासे राहगीर को
पानी पिलाते हुए
देखा है।
मैंने तुम्हे
रोते हुए बच्चे को
गोद में लेकर हंसाते हुए
देखा
तुम्हारे जैसा
इन्सान जब दुनिया से जायेगा
लोग अश्रुपूर्ण नेत्रों से बिदा करेंगे।
१८ सितम्बर, २०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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