भूख से दम तोड़ रहे भुखे
गरीब बच्चों के बारे में लिखोदहेज़ के लालच में जलाई
जा रही दुल्हन के बारे में लिखो
देश की सीमा पर शहीद जवान के
बिलखते परिवार के बारे में लिखो
देश में हर रोज हो रहे घोटालों
और भ्रस्टाचार के बारे में लिखो
झुग्गियों और फुटपाथों पर
सड़ रही जिंदगियों पर लिखो
औरतों पर हो रहे जुल्म और
बलात्कार के ऊपर लिखो
बेटे के इन्तजार में आँखे
बिछाए बाप के बारे में लिखो
किसी तलाकशुदा नारी की
काली रातों के बारे में लिखो
माँ की बुझी हुयी आशाओं
टूटे हुए दिल के बारे में लिखो
बिना इलाज के मरते किसी
गरीब के दर्द के बारे में लिखो
कवि कुछ ऐसा लिखो कि
मानव की मानवता जाग उठे
चौराहे पर खड़ा मूक दर्शक भी
अन्याय का प्रतिकार कर उठे।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
No comments:
Post a Comment