घर सूं कागद आवंतो जणा
सात समाचार लिख्योडा आवंता
बदलाव समैरो
लोग कागद लिखणो ही भुलग्या
,ई'मेल स्यूं आधा आखर लिख''र ही
काम काढबा लागग्या
लोग कागद लिखणो ही भुलग्या
,ई'मेल स्यूं आधा आखर लिख''र ही
काम काढबा लागग्या
तीज त्योंहार आयां घर-आंगणा मांय
हिरमिच-गेरू का मांडणा मांडता
चालगी आन्थुणी पून
चालगी आन्थुणी पून
अब प्लास्टिक का स्टीकर लगा''र ही
काम काढबा लागग्या
ब्याव-सावै पीला चावल देंवता
मान-मनवार स्यूं बूलावंता
अब तो प्रीत-प्रेमरी बात ही कोनी
सीधा मोबाइल पर मेसेज भेज''र ही
काम काढबा लागग्या
सीधा मोबाइल पर मेसेज भेज''र ही
काम काढबा लागग्या
मरणै-खरणे री खबर सुण्या
सगळ गाँव का लोग भेळा हुंवता
समै रो जथारथ
अब तो लोग मुंडो दिखा"र ही
काम काढबा लागग्या
अब तो लोग मुंडो दिखा"र ही
काम काढबा लागग्या
दुःख-सुख की दो बात पूछता
अब तो नुवीं हवा रा लैरका सरणाट बेवै
लोग-बाग़ हाय-हल्लो कर ही
काम काढ़बा लागग्या
लोग-बाग़ हाय-हल्लो कर ही
काम काढ़बा लागग्या
उन्याला में गाँवतरा स्यूं कोई आंवतो जणा
भर बाटको छाछ -राबडी घालता
पी"र कालजो तिरपत हुज्यातो
अब तो एक कप चाय पकड़ा"र ही
काम काढ़बा लागग्या
भर बाटको छाछ -राबडी घालता
पी"र कालजो तिरपत हुज्यातो
अब तो एक कप चाय पकड़ा"र ही
काम काढ़बा लागग्या
होली दयाळी एक दूजा रे घरा जांवता
जणा बडोड़ा ने पांवाधोक देंवता
टाबरियाँ न लाड़ करता
अबै नै की आणी नै की जाणी
सगला लैपटॉप मांय ही सिमटण लागग्या।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
जणा बडोड़ा ने पांवाधोक देंवता
टाबरियाँ न लाड़ करता
अबै नै की आणी नै की जाणी
सगला लैपटॉप मांय ही सिमटण लागग्या।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
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