हँसती, मुस्कराती, इठलाती
ख़ुशी से थिरक रही है
लडकिया केटवाक् करती।
रंग-बिरंगी पोशाके पहने
कर रही है फैशन सौ
चाल में जादू दिखाती।
मंद, तेज चाल चलती
होठों पर मुस्कान लिए
अपनी प्रतिभा को दिखती।
लाडली
तुम्हारे जीवन की
घड़िया बीते ठण्डी
छाँव में।
दुःख का कोई कांटा
कभी भी नहीं लगे
तुम्हारे पाँव में।
जीवन की डगर पर
इसी तरह केट-वाक
करती रहो।
सपनों को साकार
करती आगे तुम
बढ़ती रहो।
नोट ;- मेरी पोती राधिका ने 25 दिसम्बर 2012 को मणिकरण, कोलकता में अपनी सहेलियों के साथ स्टेज पर केट-वाक किया था, जिसे बहुत पसंद किया गया। मुझे भी उसने अपना वीडियो भेजा था।
उसने मुझे कहा की यदि आपको मेरा प्रयाश अच्छा लगे तो मुझे कविता लिख कर आशीर्वाद देना।
असीम स्नेह व शुभकामनाओं के साथ
दादा- दादी
पीट्सबर्ग (अमेरिका)
7 जनवरी, 2013
आदरणीय भागीरथ जी
ReplyDeleteनमस्कार !
.........उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
राधिका को असीम स्नेह !
नयी उम्मीदों के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteVery nicely quoted :-)
ReplyDeleteसंजय जी मेरे ब्लॉग पर आने का आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आप और आपके परिवार को नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाये।
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