युवा साइड वाक् पर
शीत ऋतु की स्वास्थ्यप्रद वायु का
सेवन करते हुए दौड़ रहे हैं
बच्चे बर्फ के गोले बना
एक दुसरे पर फैंक रहे हैं
फिसल रहे हैं, स्नोमैन बना रहे हैं
चाँदनी रात में बर्फ
चाँदी की तरह चमक रही है
सड़क दूध का दरिया बन गया है
पेड़ो और पत्तों पर
लगता है कोई चित्रकार
सफ़ेद रंग करते-करते सो गया है
ठण्ड से ठिठुरता
सूरज कहीं डर कर छुप गया है
अब तो यदा-कदा ही मुहँ दिखा रहा है
-23 डिग्री सेल्सियस तापमान
और हिम शीतल बयार से बेखबर
जन-जीवन सामान्य गति से चल रहा है।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
शीत ऋतु की स्वास्थ्यप्रद वायु का
सेवन करते हुए दौड़ रहे हैं
बच्चे बर्फ के गोले बना
एक दुसरे पर फैंक रहे हैं
फिसल रहे हैं, स्नोमैन बना रहे हैं
चाँदनी रात में बर्फ
चाँदी की तरह चमक रही है
सड़क दूध का दरिया बन गया है
पेड़ो और पत्तों पर
लगता है कोई चित्रकार
सफ़ेद रंग करते-करते सो गया है
ठण्ड से ठिठुरता
सूरज कहीं डर कर छुप गया है
अब तो यदा-कदा ही मुहँ दिखा रहा है
-23 डिग्री सेल्सियस तापमान
और हिम शीतल बयार से बेखबर
जन-जीवन सामान्य गति से चल रहा है।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
No comments:
Post a Comment