कौन कहता है
कि तुम चली गई
तुम तो आज भी बसी हो
मेरी यादों में
मेरी साँसों में
मेरे दिल में और
अब तो तुम आने लगी हो
मेरी बातों में
दो साल से
तुम्ही तो छाई हुई हो
मेरी कविताओं में
अगले जन्म में
तुम फिर मिलना
मुहब्बत का फूल लिए
हाथों में
मेरे जैसा दीवाना
भला कहाँ मिलेगा तुम्हें
इस बेगानी दुनियां में।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]
कि तुम चली गई
तुम तो आज भी बसी हो
मेरी यादों में
मेरी साँसों में
मेरे दिल में और
अब तो तुम आने लगी हो
मेरी बातों में
दो साल से
तुम्ही तो छाई हुई हो
मेरी कविताओं में
अगले जन्म में
तुम फिर मिलना
मुहब्बत का फूल लिए
हाथों में
मेरे जैसा दीवाना
भला कहाँ मिलेगा तुम्हें
इस बेगानी दुनियां में।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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