Monday, January 16, 2012

संदेशो (राजस्थानी कविता )

घर स्यूं
संदेशो आयो
अब काळै बिरखा
मोकळी हुई है

काती सरा पर
आया रहीज्यो
रामजी री मैर 
समुं सैंजोर है

हरी करस
घोटां पोटां तो बाजरी
खारिये मान मोठ ओ
कङयॉ सूदो गुंवार उबौ है

काकड़ी मतीरा री बेलां
चियां 'र फुलडा स्यूं
लड़ालूम हो राखी है 
साख सवाई है

टाबरिया भी ओळृं करे
टिकट कटा'र राखिज्यो
काती सरा पर आया रहीज्यो।


(यह कविता  "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )

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