मेरे दोस्त !
जीवन में तुम पा चुके होंगे
मुझ से अधिक विशिष्ट्ता
लेकिन तुम जीवन को
जी नहीं सके
तुम तो जीवन के असली
मतलब को भी नहीं
समझ सके
जीवन तो मैंने जीया है
अपनी पत्नी के संग
हँसते हुए जीवन बिताया है
अपने बच्चों के संग
खेल के मैदान में
समय बिताया है
जीवन की
मधुर-पूर्ति की खोज में
मैंने सब कुछ पाया है
प्यार-मुहब्बत
हँसी-ख़ुशी
सब को मैंने जिया है
तुम्हारे लिए
ये सब सपना रहा
तुम तो कुछ भी नहीं कर सके
अपने जीवन में
खुशियाँ तलाश ने तक का
समय भी नहीं निकाल सके
मेरे दोस्त!
जब तक तुम इस बात को
समझोगे तब तक
बहुत देर हो चुकी होगी
रेत बँधी
मुट्ठी सी यह जिंदगी
रीत चुकी होगी।
जीवन में तुम पा चुके होंगे
मुझ से अधिक विशिष्ट्ता
लेकिन तुम जीवन को
जी नहीं सके
तुम तो जीवन के असली
मतलब को भी नहीं
समझ सके
अपनी पत्नी के संग
हँसते हुए जीवन बिताया है
अपने बच्चों के संग
खेल के मैदान में
समय बिताया है
जीवन की
मधुर-पूर्ति की खोज में
मैंने सब कुछ पाया है
प्यार-मुहब्बत
हँसी-ख़ुशी
सब को मैंने जिया है
ये सब सपना रहा
तुम तो कुछ भी नहीं कर सके
अपने जीवन में
खुशियाँ तलाश ने तक का
समय भी नहीं निकाल सके
मेरे दोस्त!
जब तक तुम इस बात को
समझोगे तब तक
बहुत देर हो चुकी होगी
रेत बँधी
मुट्ठी सी यह जिंदगी
रीत चुकी होगी।
बच्चों के साथ बिताये गये वक्त जीवन के अनमोल हिस्से होते है।भावपूर्ण प्रस्तुति।
ReplyDeleteआज 31/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
धन्यवाद राजेश कुमार जी।
ReplyDeleteआभार यशवंत जी।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइन छोटी छोटी बातों में जो जीवन खोज लेता है वही असल में जीता है ...
ReplyDeleteबहुत लाजवाब पंक्तियाँ ...
धन दौलत की दौड़ में आज मानव वास्तविक खुशियों से कितना दूर हो गया है...खुशियाँ तो उसके चारों और बिखरी हैं, छोटी छोटी बातों में ...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteछोटी छोटी बाते ही जीवन में खुशियां ला देती है ,उसे आपने सहेज कर रखा है ,...बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteनेता और भ्रष्टाचार!
आप सभी का आभार।
ReplyDelete