बरसों बीत गए
तुलसी
चौरे पर
दीया जलाए हुए
पंजो पर बैठ
चूड़ियों से
पानी पिए हुए
गौधूली बेला में
गायों का
रम्भाना सुने हुए
चिड़ियों को
बालू में
नहाते देखे हुए
मोर को
खेतों में
नाचते देखे हुए
रात में
तारों का
नजारा देखे हुए
खेजड़ी की
छाँव तले
अळगोजा सुने हुए
सावण की
तीज पर
झूला झूले हुए
पनघट की
डगर पर
पायल को सुने हुए .
तुलसी
चौरे पर
दीया जलाए हुए
पंजो पर बैठ
चूड़ियों से
पानी पिए हुए
गौधूली बेला में
गायों का
रम्भाना सुने हुए
चिड़ियों को
बालू में
नहाते देखे हुए
मोर को
खेतों में
नाचते देखे हुए
रात में
तारों का
नजारा देखे हुए
खेजड़ी की
छाँव तले
अळगोजा सुने हुए
सावण की
तीज पर
झूला झूले हुए
पनघट की
डगर पर
पायल को सुने हुए .
waah
ReplyDeleteआभार आपका नीलिमा जी।
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