Sunday, January 25, 2015

अमरलोक के नज़ारे

उस दिन गया था
पिके फिल्म देखने
तारामणि - धर्मचन्द के संग 
टिकटे एडवांस में बुक थी

मैंने टिकट खिड़की पर 
मोबाईल पर बुकिंग दिखाई  
काउंटर बैठे व्येक्ती ने
मुझे तीन टिकट दे दिए

मैंने उससे कहा-
हमारे चार टिकट है
उसने कम्प्यूटर देख कहा -
सर आपके तीन ही टिकट बुक है

अचानक मुझे ख़याल आया
अरे हाँ ! अब तो हम तीन ही है
चौथी तो साथ देने अब कभी
आयेगी भी नहीं

वो तो चली गई 
हम सब को छोड़कर 
अमरलोक के नज़ारे देखने। 


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