Thursday, September 25, 2014

दुसरो को भी जीने दो



इस धरती पर
सभी के लिए पर्याप्त है
सूर्य और उसकी रोशनी
चन्द्रमा और उसकी चाँदनी
हवा और पानी
विस्तृत फैला नीला आकाश है

धरती की मिटटी से
उठती है एक सौंधी महक
सौभाग्य की खुशियों की
और सौंदर्य की जो करती है
सब के मन को मोहित

इस धरती पर
केवल अपने लिए नहीं जीना है
दुसरो को भी जीने का हक़ देना है
उतनी ही आशाओं के साथ
जीतनी हम करते हैं।






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