आज बहती पुरबा ने
हौले से मेरे कान में कहा
आँखें क्यों रो रही है ?
आँखें क्यों रो रही है ?
याद कर अपने
संग-सफर की बातें
बेहद मीठी होती है यादें
मैं जैसे ही
तुम्हारी यादों में डूबा
तुम बरखा बन
चली आई मेरे पास
तुम्हारी यादों के संग
रिमझिम फुहारों ने
भीगा दिया मेरा तन-मन
तुम्हारी यादों में डूबा
तुम बरखा बन
चली आई मेरे पास
तुम्हारी यादों के संग
रिमझिम फुहारों ने
भीगा दिया मेरा तन-मन
तुम सूरज की
पहली किरण बन
कल फिर आना मेरे पास
मुझे हौले से सहला कर
कुछ देर बैठ जाना मेरे
सिरहाने के पास
मैं जब भी तुम्हें याद करूँ
तुम इसी तरह आते रहना
बन कर मेरी परछांई
मेरे संग - संग चलते रहना।
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