हर दम तेरी आती यादें
मन में उमड़े सारी बातें
तन्हाई के इस जीवन में
कौन प्यार की बात करेगा
मेरा दिल अब टूट गया है
मेरे मन की कौन सुनेगा
मैं दुःख के दरिया में जीता
अपने अश्रु जल को पीता
जीवन की इस अर्द्धरात्रि में
दीपोत्सव अब कौन करेगा
मेरा दिल अब टूट गया है
मेरे मन की कौन सुनेगा।
सोते-उठते तुम्हें पुकारूँ
सपनों में अब तुम्हें निहारूँ
कैसे जीवन अब काटूंगा
इसकी चिंता कौन करेगा
मेरा दिल अब टूट गया है
मेरे मन की कौन सुनेगा।
मेरे सारे ख्वाब थे तुमसे
आँखों में सपने थे तुमसे
मेरी जीवन की नैया को
कौन खेवैया पार करेगा
मेरा दिल अब टूट गया है
मेरे मन की कौन सुनेगा।
[ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]
वाह.. बेहतरीन रचना है
ReplyDeleteआप सभी का ह्रदय से आभार।
ReplyDeleteआभार आपका
ReplyDelete