जब भी घर में कोई
नया सदस्य जुड़ने वाला होता है
नया सदस्य जुड़ने वाला होता है
कौआ उससे पहले आकर
बोलने लग जाता है
चाहे घर में बहु के बच्चा
होने की आश हो
चाहे घर में बेटे की सगाई
होने की बात हो
कौआ खिड़की पर
आकर जरूर बोलेगा
एक दो दिन नहीं
कईं दिनो तक बोलेगा
सबको अपनी भाषा में
पहले से ही बता देगा कि
पहले से ही बता देगा कि
घर में कोई नया प्राणी आयेगा
कौए का खिड़की पर
बैठ कर बोलना
यानि की घर में एक
नए सदस्य का जुड़ना
ये आज से नहीं कई
बरसों से हो रहा है
कौआ आकर शुभ सूचना
पहले से ही दे रहा है
एक बार माँ ने कहा --
इस बार तुम्हारा कौआ
झूठा निकलेगा
नहीं कोई बहु का
पाँव भारी है और
नहीं कोई घर में
होने वाली सगाई है
लेकिन कुछ दिन बाद ही
माँ ने खुश खबरी दी
बहु का पाँव भारी है
सबको बधाई दी
कौआ जब भी बोला
सच बोला
कभी झूठ नहीं बोला
कौआ कभी झूठ
बोलता भी नहीं और
सच बोलने वाले को
काटता भी नही।
कोलकत्ता
२२ अगस्त, २०११
२२ अगस्त, २०११
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(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )