तुम मुझे बताओ कि
तुमको गुस्सा क्यों नहीं आता
तुम किस मिटटी के बने हो यार
कोई भी घटना घटित हो जाए
मगर तुम को कुछ नहीं होता
आज दीघा से
वापिस कोलकता आते समय
अविनाश १२० की स्पीड पर
गाडी चला रहा था
टर्निंग पर उसने गाडी को
इस तरह से काटा
कि गाडी दो चक्कों पर आ गई
इस तरह से काटा
कि गाडी दो चक्कों पर आ गई
लेकिन तुम्हारे कुछ नहीं हुवा
तुम्हारा मन शांत था
तुम्हारा मन शांत था
यदि अविनाश के पास
मैं बैठा होता
चाहे जितना लाडला हो
चाहे जितना लाडला हो
मै थप्पड़ लगा देता
उसको बता देता कि
मोड़ पर गाडी को
किस तरह से काटा जाता ?
मोड़ पर गाडी को
किस तरह से काटा जाता ?
जबकि तुम
मेरी तरफ देख कर
मुस्करा रहे थे
मुझे
आये गुस्से का
मजा ले रहे थे
मुझे
आये गुस्से का
मजा ले रहे थे
आज तुम मुझे बताओ
कि तुम्हें गुस्सा
क्यों नहीं आता ?
कि तुम्हें गुस्सा
क्यों नहीं आता ?
NO
कोलकात्ता
११ अगस्त, २०११
उम्दा सोच
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।
वाह बेहतरीन !!!!
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