सुबह की गर्म चाय के साथ
अखबार का पढ़ना
अखबार का पढ़ना
अच्छा लगता है
गुनगुनी धूप में बैठ कर
सर्दी को भगाना
सर्दी को भगाना
अच्छा लगता है
आँगन में हरसिंगार के
फूलों का महकना
अच्छा लगता है
घर आये मेहमान को
बांहों में भरना
बांहों में भरना
अच्छा लगता है
प्रातःकाल दोस्तों के साथ
विक्टोरिया घूमना
अच्छा लगता है
शर्मा की दूकान पर कचौड़ी
के साथ गर्मागर्म जलेबी खाना
के साथ गर्मागर्म जलेबी खाना
अच्छा लगता है
जो मन मे आये वो लिखना
और सहेज कर रख लेना |
कोलकत्ता
१२ अगस्त, २०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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