Monday, August 22, 2011

कौआ आकर बोलता है

जब भी घर में कोई
नया सदस्य जुड़ने वाला होता है
कौआ उससे पहले आकर
बोलने लग जाता है 

चाहे घर में बहु के बच्चा
होने की आश हो
चाहे घर में बेटे की सगाई
होने की बात हो

कौआ खिड़की पर
आकर जरूर बोलेगा
एक दो दिन नहीं
कईं दिनो तक बोलेगा 

सबको अपनी भाषा में
पहले से ही बता देगा कि 
घर में कोई नया प्राणी आयेगा

कौए का खिड़की पर 
बैठ कर बोलना
यानि की घर में एक
नए सदस्य का जुड़ना 

ये आज से नहीं कई
बरसों से हो रहा है
कौआ आकर शुभ सूचना
पहले से ही दे रहा है

एक बार माँ ने कहा --
इस बार तुम्हारा कौआ
झूठा निकलेगा  

नहीं कोई बहु का
पाँव भारी है और 
नहीं कोई घर में
होने वाली सगाई है 

लेकिन कुछ दिन बाद ही
माँ ने खुश खबरी दी
बहु का पाँव भारी है
सबको बधाई दी 

कौआ जब भी बोला 
सच बोला 
कभी झूठ नहीं बोला 

कौआ कभी झूठ
बोलता भी नहीं और
सच बोलने वाले को
काटता भी नही। 


कोलकत्ता
 २२ अगस्त, २०११ 
\

(यह कविता  "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )











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