सरकार चाहे जितना
भी खर्च कर दे
इस देश की आबादी
पर नियंत्रण मुश्किल है
हमारे देश की तो मिट्टी
को ही वरदान प्राप्त है
यहाँ खेत से सीता निकलती है
पत्थर की शिला से अहिल्या निकलती है
कान से कर्ण निकलता है
घड़े से अगस्त्य निकलता है
खम्बे से नरसिंह का प्रकाट्य होता है
ये महान देश है
इसकी महान परम्पराएँ हैं
यहाँ पाँव छूने पर भीं बहुओं को
दूधों नहाओ और पूतों फलो
का आशीर्वाद दिया जाता है।
बच्चों को यहाँ रामजी की
देन समझा जाता है
इस देश की आबादी पर
नियंत्रण कैसे संभव है ?
कोलकत्ता
१० अगस्त, २०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
BILKUL SAHI KAHA AAPNE SIR JI
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