Thursday, August 4, 2011

मोक्ष


पीड़ा से कहराती
बुढ़िया बोली-
  " भगवन अब उठाले " 

"तथास्तु"
नेपथ्य से आवाज आई 

"मरे मेरे दुश्मन,
 मै क्यों मरू " -
बुढ़िया बुदबुदाई 

जीने की चाहत 
मरती नहीं 
फिर कैसी
मोक्ष की कामना ?



कोलकता
३ अगस्त, २०११

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