Thursday, January 5, 2012

टमरक टूं - टमरक टूं (राजस्थानी कविता )

एक कमेड़ी
बैठ खेजड़ी
घोळ र  मिसरी
बोली यूँ -
टमरक टू- टमरक टू

एक चिङकली
बैठ बोरड़ी
घोळ र मिसरी
बोली यूँ -
चीं चीं चीं - चूं चूं चूं 

एक कबूतर
बैठ नीमड़ी
घोळ र  मिसरी 
बोल्यों यूँ -
गुटर गूं - गुटर गूं

एक कोयलड़ी
बैठ पींपली
घोळ र मिसरी
बोली यूँ -
कुहू कुहू -कुहू कुहू    

(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित   है )

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