मैंने अब जीवन के सिद्धांतों से
समझौता करना सिख लिया है,
अच्छे और बुरे के बीच में अब
संतुलन रखना सीख लिया है।
अच्छे और बुरे के बीच में अब
संतुलन रखना सीख लिया है।
अब हवन करने से हाथ जलते हैं,
भलाई करनेपर ठोकर मिलती है,
किसी को भी उधार देकर देखलो,
किसी को भी उधार देकर देखलो,
माँगने पर दुश्मनी ही मिलती है।
रोज़ अपहरण की घटनाऐं होती है,
गुंडागर्दी और छुरेबाज़ी होती है,
अबलाओं का शील हरण होता है,
सुपारी लेकर हत्याएँ की जाती हैं।
अबलाओं का शील हरण होता है,
सुपारी लेकर हत्याएँ की जाती हैं।
ये सब अखबार में रोज़ पढ़ता हूँ,
चाय की चुस्की संग निगलता हूँ,
मन के आक्रोश को पी जाता हूँ,
मौन रह, जख्मों को सी जाता हूँ।
जुल्म के आगे सिर झुका रहा हूँ,
यही ज्ञान बच्चों को भी दे रहा हूँ,
भलाई का जमाना अब नहीं रहा,
भलाई का जमाना अब नहीं रहा,
निर्लिप्तता का ही ज्ञान दे रहा हूँ।